पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१५७

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( १२६) भेद ठीक ठीक नहीं समझते थे। डायोडोरस ने इस राज्य की शासन प्रणाली का स्वरूप इस प्रकार बतलाया है-"यह एक बहुत प्रसिद्ध नगर है और यहाँ की शासन-प्रणाली उसी ढंग की है, जैसी स्पार्टी की है। क्योंकि इस वर्ग के लोगों में युद्ध का सेनापतित्व दो भिन्न भिन्न कुलों के वंशानुक्रमिक राजाओं को प्राप्त होता है; और वृद्धों या ज्येष्ठों की एक काउं- सिल होती है जिसे सारे राज्य पर शासन करने का पूरा पूरा अधिकार होता है * यूनानियों ने जिस स्थान को पटल कहा है, वह सिध प्रांत का हैदराबाद नामक नगर है जिसका प्राचीन नाम पटल- पुरी अब तक लोगों की स्मृति में है। यह गणपाठ (पा० ४. १. १४.) का पाटन और पतंजलि द्वारा वर्णित (महा० ५.२.१०१.) पाटनप्रस्थ एक वाहीक नगर जान पड़ता है। सिकंदर के इतिहास मे हिंदू राज्यों के प्रकरण की समाप्ति इसी पटल से होती है। बलोचिस्तान की सीमा पर कुछ छोटे छोटे वर्ग या उपजातियाँ भी थीं, पर उन्हे भारतीय बतलाना ठीक नहीं है। ६७८, कुछ राज्य ऐसे भी थे जिनका यूनानियों द्वारा किया हुआ वर्णन अनिश्चित या संदिग्ध है। संभवतः ये

- मैकिंडल कृत Alexander पृ० २६६. डायोडोरस, भाग

१७. प्रक० + मैककिंडल कृत Alexander पृ० ३५६.