पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१५८

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(१२७ ) राज्य संघ थे। इस प्रकार के कुछ राज्यों का हम अभी वर्णन कर चुके हैं। फेगेलों का राज्य कदाचित् उन्हीं में से एक है* | गणपाठ मे प्रजातंत्री बैगों के संदिग्ध वर्णनवाले राज्य साथ भगल | जाति का उल्लेख है; और इसी लिये कुछ विद्वानों ने यूनानियों के इस शब्द को संस्कृत के भगल शब्द का बिगड़ा हुआ रूप माना है। सिकंदरवाले फेगेल भी इसी प्रदेश मे रहते थे। इस प्रकार का दूसरा राज्य ग्लौसई या ग्लौकनिकोई। (एरियन ) लोगों का था; और ये लोग भी प्रजातंत्री जान पड़ते हैं। ये लोग वही हैं जिन्हें काशिका मे ग्लौचुकायनक कहा गया है+ । पंजाब और सिंध के जिस बहुत बड़े अंश का यूनानी लेखकों ने वर्णन किया है, उसमें केवल दो या तीन ही राज्य ऐसे थे जिनमे एकराज शासन-प्रणाली थी और जिनमे से विशेष महत्व के राज्य राजा पुरु और राजा अभिसार के थे 1 नहीं तो इन दो तीन को छोड़कर शेष मारे देश मे प्रजातंत्र शासन ही प्रचलित था। प्लूटार्क (६०) ने राजा पुरु के विषय मे जो वर्णन किया है, उससे भी यही बात प्रकट होती मैकिंडल कृत Alexander. १२१. २२१. २८१. +पाणिनि पर गणपाठ ४. २.८०. I मैकिंडल कृत Alexander पृ० १५१. अरिस्टोवोलस के अनुसार ग्लौकनिकोई; और टालेमी के अनुसार ग्लासई । +पाणिनि पर वृत्ति ४. ३. ६६.