पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१५९

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(१२८) है। उसने लिखा है-"इस पर सिकंदर ने पुरु को क्षत्रप की उपाधि देकर केवल उसे राज्य का ही फिर से अधिकारी नहीं बना दिया, बल्कि कुछ ऐसे लोगों को भी उसके अधीनस्थ करके उनका प्रदेश उसे दे दिया, जिनमें प्रजातंत्र शासन-प्रणाली प्रचलित थी। ७६. सिकंदर का आक्रमण और परावर्तन समस्त पंजाब में नहीं हुआ था। अभी सतलज की तराई और वाहीक देश में व्यास की तराई बाकी ही थी। इन प्रदेशों में जो प्रजातंत्र थे, उनका पता केवल भारतीय साहित्य से ही लग सकता है। यौधेय और अरट्ट लोग इन्हों प्रदेशों में थे; और शयंड, गोपालव तथा कौडिवृषस् आदि प्रजातंत्र भी, जिनका उल्लेख प्राचीन साहित्य के आधार पर काशिका में किया गया है ( काशिका ५. ३. ११ द्ध. पृ० ४५६), कदाचित् इसी प्रदेश मे थे। इसे भूल से पौरव नहीं समझ लेना चाहिए, बल्कि पाणिनि के गणपाठ के (४. १. १५१.) उस पुर शब्द से इसे संबद्ध समझना चाहिए जो पंजाब तथा सिंध के शासकों के नामो की सूची में दिया गया है। इस शब्द के संबंध में विशेष जानने के लिये वर्धमान कृत गणरत्न- महोदधि भी देखो। | मैकिंडल कृत Alexander पृ० ३०८.