पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१६०

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नवाँ प्रकरण यूनानी लेखकों के हिंदू प्रजातंत्रों की शासन- प्रणाली का दिग्दर्शन 8८०. उक्त विवेचन से इस बात का पता चल गया होगा कि हमारे यहाँ अनेक प्रकार की शासन-प्रणालियों प्रचलित थीं। इससे प्रमाणित होता है कि ये प्रजातंत्र सब शासन-प्रणालियाँ उन भिन्न भिन्न लोगों की विशिष्ट परिस्थितियों तथा आवश्यकताओं के अनुकूल और उपयुक्त थीं, जो उन राज्यों में रहते थे। उदाहरण के लिये अंबष्ठों का प्रजातंत्र था। अंबष्ठों के प्रजातंत्र में एक द्वितीय मंडल भी था जिसमे निर्वाचित वृद्ध या ज्येष्ठ लोग हुआ करते थे। ये लोग अपने सेनापति का भी आप ही निर्वाचन कर लिया करते थे समाज के प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्यक्ष रूप से मत देने का अधिकार था; और यूनानी लोग इसी प्रकार की शासन-प्रणाली को प्रजातंत्र कहते थे। ६८१. इसके उपरांत हमारे यहाँ क्षुद्रक और मालव लोग थे जिनमें कोई निर्वाचित राजा ही नहीं होता था; क्योंकि उन लोगों ने संधि की बातचीत करने के लिये अपने १०० या १५० प्रतिनिधि भेजे थे। इससे जान पड़ता है कि उन लोगों हि-६ 1