पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१६६

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(१३५) थी। जान पड़ता है कि अंबष्ठों और क्षुद्रक-मालवों मे इसी प्रकार की शासन-प्रणाली प्रचलित थी। संभवतः प्रजातंत्रों मे यह अधिकार न सौंपने की ही प्रथा थी। पंजाब के नगर- राज्यों में जो शासन-प्रणाली प्रचलित थी, उसे यूनानी लेखकों ने बराबर प्रजातंत्र ही कहा है। कहा जाता है कि "अनेक पीढ़ियों बोत जाने पर एकराज शासन-प्रणाली का अंत कर दिया गया था और नगरों में प्रजातंत्र शासन-प्रणाली स्थापित की गई थी।" (डायोडोरस ३. ३८* ) यद्यपि कुछ नगरों में देश पर सिकंदर का आक्रमण होने के समय तक एकराज शासन-प्रणाली बच रही थी, तथापि अधिकांश नगरों मे प्रजातंत्र शासन-प्रणाली ही प्रचलित हो गई थी (डायोडोरस ३.३६)। ६८५. यूनानियों को कुछ राज्य ऐसे भी मिले थे जिनमें शासनाधिकार वंशानुक्रमिक सिद्धांत पर कुछ विशिष्ट वंशों के लोगों को प्राप्त थे, पर फिर भी वे शासकगण के अधीन और उनके प्रति उत्तरदायी थे। इन राज्यों को यूनानियों ने राजतंत्री या aristocratic कहा है। वास्तव में यह एक मिश्रित शासन- प्रणाली थी, जिसे किसी और अधिक उपयुक्त नाम के अभाव में राजतंत्री प्रजातंत्र कह सकते हैं। उदाहरण के लिये उस राज्य को लीजिए जो हुपानिस या व्यास नदी के उस पार था। इसमे पाँच हजार सदस्यों का एक गण या पार्लिमेंट थी; परंतु फिर -- मैककिंडल कृत Megasthenes पृ० ३८. । उक्त ग्रंथ पृ० ४०.