पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१६७

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( १३६ ) भी उन लोगों ने इसे राजतंत्र ही कहा है, "क्योंकि इसमें सर्व- साधारण का शासन एक राजा या सरदार के द्वारा होता था, और वह अपने अधिकार का उपयोग बहुत ही न्याय तथा मृदुता-पूर्वक करता था।" यूनानियों की दृष्टि में इस प्रकार की शासन-प्रणाली "देश के भीतरी शासन के लिये बहुत ही सुंदर और अच्छी थी । गण के जो पाँच हजार सदस्य होते थे, वे सभी प्रत्यक्ष रूप से अधिकारी नहीं हुआ करते थे, क्योंकि उस गण के अधिवेशन में जाकर बैठने का अधिकार उन्हों लोगों को प्राप्त होता था जो राज्य को एक हाथी समर्पित करते थे। यह भी एक गुण था; और गण मे बैठने का अधि- कार गुण पर निर्भर करता था। इसके निवासियों में अच्छे कृषक और वीर योद्धा थे। सभी कृषक और सभी योद्धा तो राज्य को हाथी समर्पित कर ही नहीं सकते थे; परंतु फिर भी नान पड़ता है कि प्रत्येक कृषक और प्रत्येक योद्धा का प्रतिनिधि वहाँ उपस्थित रहता था। यह भी अनुमान होता है कि जो लोग राज्य को हाथी देते थे, वही हाथी न देनेवालों के प्रतिनिधि हुआ करते थे। पटल की शासन-प्रणाली भी इसी प्रकार की मिश्र ढंग की थी। उसके वंशानुक्रमिक राजा पूर्ण रूप से वृद्धों या ज्येष्ठों के मंडल के अधीन होते थे। वास्तव मे शासन-प्रणाली का रूप तो राजतंत्री था, परंतु भाव की दृष्टि से वह प्रजातंत्री ही थी।

  • I. I. A. पृ० १२१. Megasthenes पृ० ६७.

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