पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१७१

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बहुत प्रसिद्ध था; और यह माना जाता है कि विष्णुस्मृति उसी के आधार पर बनी है। हिंदू साहित्य में जब तक उपनि- षदों और यजुर्वेद का अस्तित्व रहेगा, तब तक इन लोगों का नाम भी बराबर बना रहेगा। इसी प्रकार वृष्णो नेता तथा उसके चचेरे भाई नेमि का दर्शन अब तक सब लोगों में समान रूप से आदरणीय है। यद्यपि ई० पू० चौथी शताब्दी में शाक्यों का अस्तित्व नहीं रह गया था, तथापि वे लोग संसार में सब से बड़ा धर्म छोड़ गए हैं। जान पड़ता है कि इन खतंत्र शासन-प्रणालियों से ही स्वतंत्र दर्शनों की भी उत्पत्ति हुई थो। दर्शन, राजनीति और युद्ध कला का जो सम्मिश्रण होता है, वह अमानुषी सृष्टि का विकास नहीं करता। ये प्रजातंत्र अपने संगीत-प्रेम के लिये भी प्रसिद्ध थे। जिन भारतवासियो से सिकंदर की भेंट हुई थो, उन्हें एरियन (६. ३.) ने "नृत्य और गीत के प्रेमी बतलाया है* । संस्कृत साहित्य में वृष्णियों की संगीत-निपुणता का यथेष्ट उल्लेख मिलता है। उनके जो बड़े बड़े नृत्य और विहार होते थे, उनका हरिवंश में अच्छा वर्णन है (अध्याय १४६-७)। Friso a Indian Invasion by Alexander पृ० १३६ (प्रत्येक जाति प्रत्येक विदेशी जाति के गाने को जंगली समझती है। यह बात आज भी ठीक है और आज से २२ शताब्दियां पहले भी ठीक थी।) आर० मित्र कृत Indo Aryans भाग १. पृ० ४३०-४२.