पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१७२

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(१४१) अर्थशास्त्र ( ११. पृ० ३७६ ) में कहा गया है कि विद्या और शिल्प के संबंध मे 'कलह' प्रजातंत्रों की एक प्रसिद्ध दुर्बलता या दोष है। ६८९ यह बात, उदाहरणार्थ सिक्खों में, देखी गई है कि मनुष्य का शारीरिक संघटन प्रस्तुत करने में धार्मिक विश्वास और राजनीति का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। इस देश की प्रजातंत्री राजनीति इस विलक्षण प्राकृतिक नियम का एक और उदाहरण है। क्षुद्रकों, मालवों, सौभूतों और कठों की सुंदर प्राकृति तथा भव्य चाल ढाल की यूनानियों ने अच्छी साक्षी दी है। बुद्ध ने सुंदर लिच्छवियों की देवताओं से जो उपमा दो है*, उससे भी यही प्रमाणित होता है। महाभारत में इस बात का उल्लेख है कि कृष्ण ने एक वार कहा था कि कुछ विशिष्ट सुंदर वृष्णी नेताओ की उपस्थिति हमारे लिये बहुत महत्व की है और ये मानों राजनीतिक दृष्टि से हमारे बहुत बड़े रत्न हैं ।। जान पड़ता है कि ये प्रजातंत्र- वाले शारीरिक व्यायाम और संघटन आदि को हड़ करने की ओर जान बूझकर विशेष ध्यान दिया करते थे। सौभूतों ... "जिन भिक्खुनो ने तवति'श देवताओ को नहीं देखा है, वे इन लिच्छवियो पर दृष्टिपात करें, वे इन लिच्छवियो को देखें, वे इन लिच्छ- वियों की तुलना करें, मानो यही लोग तवति श देवता हैं।" अोल्डेन- वर्ग और रीस डेविड्स S. B. E. भाग ११. पृ० ३२. देखो परिशिष्ट का