पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१७३

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(१४२) और कठों ने तो अपने यहाँ की शासन-प्रणाली में इन सब बातों का कानून बनाकर मानों जबरदस्ती प्रचार किया था * | लिच्छवियों के देश में किसी समय शारीरिक संघ- टन और सौंदर्य इतना अधिक था कि बुद्ध भगवान् को उसकी प्रशंसा करने के लिये विवश होना पड़ा था। उस शारीरिक संघटन और सौंदर्य का अदृश्य या नष्ट हो जाना वैसा ही है, जैसा कि आधुनिक हेल्लास (मध्य यूनान) में शारीरिक संघटन का ह्रास हो जाना। दोनों का हास प्रायः एक ही सा है। जिसे अरस्तू ने विज्ञानों की रानी कहा है, जान पड़ता है कि वह भी प्राकृति और सुंदरता आदि को बहुत मानती थी। - देखो 8 १४ में मद्रों के संबंध का विवेचन और पाद-टिप्पणी।