पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१७४

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दसवाँ प्रकरण हिंदू शासन-प्रणालियों के खरूप ( ई० पू० १००० से) १०. गण और कुल ये दोनों संघ-राज्यों के दो मुख्य विभाग थे। इन दोनों के मध्य में शासन-प्रणाली के और भी कई भिन्न भिन्न प्रकार थे। जहाँ तक हम इन भिन्न भिन्न प्रणालियों के नाम और विवरण आदि एकत्र कर सके हैं, वे सब हम यहाँ पर दे देना चाहते हैं। पहले हम सब से प्राचीन शासन-प्रणाली को ही लेते हैं। 8६१. भौज्य शासन-प्रणाली का ऐतरेय ब्राह्मण में उल्लेख मिलता है * | इस शासन-प्रणाली के संबंध में हमे कुछ बातें एक ऐसे स्थान से मिलती हैं, जहाँ भौज्य शासन-प्रणाली से उनके मिलने की कोई विशेष संभा- वना नहीं हो सकती थी। पाली त्रिपिटक में यह बत- ऐतरेय ब्राह्मण, ८ १४ दक्षिणस्यां दिशि ये के च सत्वतां राजानो भौज्यायैव तेऽभिषिच्यन्ते । भोजेत्येनानभिषिक्तानाचक्षत... + यस्स कस्सचि महानाम, कुलपुत्तस्स पञ्चधम्मा संविजन्ति, यदि वा रजो खत्तियस्स मुद्धाभिसित्तस्स, यदि वा रट्रिकस्स पेत्तनिकस्स, यदि वा सेनाय सेनापतिकस्स, यदि वा गामगामिणिकस्स, यदि वा पूगगाम- णिकस्स, ये वा पन कुलेसु पच्चेकाधिपच्चं कारेन्ति । अंगुत्तर निकाय खंड ३ पृ० ७६. 1