पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१९७

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(१६६ ) सारा देश अथवा देश के समस्त निवासी शासक समझे जाते थे (वैराज्य), वहाँ एक विशिष्ट कृत्य के द्वारा सारे देश अथवा देश के समस्त निवासियों का अभिषेक होता था। लिन्छ- वियों में इस प्रकार का अभिषेक होता था (देखो ऊपर पृ०७८ का दूसरा नोट) और मल्लों का एक विशिष्ट निश्चित स्थान था, जहाँ उनके शासक लोग शासन-भार ग्रहण करने के समय राजमुकुट धारण किया करते थे। मुकुट बंधन या मुकुट धारण करना (महापरिनिव्बान सुत्तन्त ६. १५.) और मुकुट धारण करने से पहले अभिषेक होना आवश्यक होता है ( देखो आगे 8 २२०)। हिंदु राजनीति में अनभिषिक्त शासक बहुत ही उपेक्षा या घृणासूचक पद है। यह इस बात का सूचक है कि कानून की दृष्टि से वह शासक शासक ही नहीं है। पुराणों में इस शब्द का व्यवहार विदेशी टोलियों के लिये हुआ है। --

  • . ऐतरेय ब्राह्मण ८. १४.

वायुपुराण में कहा है-- भविष्यन्तीह यवना धर्मतः कामतोऽर्थतः । नैव मूभिपिक्तास्ते भविष्यन्ति नराधिपाः ।। देखो परगिटर का मूल, पृ०५६.