पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२०४

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(१७३ ) समय मिले तो सघ यह निश्चय करे कि ये पॉच सौ भिक्खु धर्म और विनय का पाठ करने के लिये, इस चातुर्मास में राजगृह मे निवास करें, तथा इस चातुर्मास में और भिक्खु लोग राजगृह न जा सके। यह प्रतिज्ञा है। आदरणीय संघ श्रवण करे। संघ इसी के अनुसार निश्चय करता है। इन उपस्थित पूज्य व्यक्तियों में से जो इस प्रतिज्ञा के पक्ष में हो, वह मौन रहे। जो इसे स्वीकृत न करता हो, वह बोले । संघ ने इसके अनुकूल निर्णय किया है; इसी लिये वह मौन है। यही मैं समझता हूँ ।" और भी- "और तब पूज्य महाकस्सप ने संघ के सामने प्रतिज्ञा उप- स्थित की—'यदि संघ को समय मिले तो मैं उपालि से विनय के संबंध में प्रश्न करेगा।" "और तब पूज्य उपालि ने संघ के सामने प्रतिज्ञा उपस्थित की---'आदरणीय संघ श्रवण करे। यदि संघ को समय मिले तो पूज्य महाकस्सप के प्रश्न करने पर मैं उन्हें उत्तर दूंगा।' ६१०६. गण-पूर्ति के नियम का बहुत ही दृढ़तापूर्वक पालन होता था। बौद्ध भिक्खुओं के कुछ छोटे छोटे स्थानीय समाजों मे सब प्रकार के कार्यों पर विचार करने के लिये बीस की संख्या गणपूरक समझी जाती थी। चुल्लवग्ग ११.१.४. चुल्लवग्ग ११.१. महावग्ग ६.४.१. ७