पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२०७

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वोट या छंद (१७६ ) उपस्थित न करे...,दो बार कम्मवाचा की घोषणा तो करे, पर अत्ति उपस्थित न करे, तो वह कार्य नियमानुसार ठीक नहीं है। हे भिक्खुओ, यदि कोई व्यक्ति कोई बत्ति चतुत्थवाला कार्य केवल एक ही बत्ति के उपरांत करे और कम्मवाचा की घोषणा न करे, तो वह कार्य नियमानुसार ठीक नहीं है। हे भिक्खुनो, यदि कोई व्यक्ति अत्ति चतुत्थवाला कार्य केवल दो (आदि आदि)...* " 8 १०८ जिस मत-दान को आजकल वोट कहते हैं, वह उन दिनों छंद कहलाता था। छंद शब्द का अर्थ है--स्वतंत्र, स्वतंत्रता या स्वाधीनता। इससे यह सूचित होता है कि किसी विषय पर सम्मति देने के समय सम्मति देनेवाला बिलकुल स्वतंत्रतापूर्वक और अपनी इच्छा से कार्य कर रहा है। जिन लोगों को अधिवेशन में उपस्थित होने का अधिकार प्राप्त होता था, वे लोग यदि रुग्ण रहने के कारण अथवा इसी प्रकार की और किसी लाचारी के अनुपस्थित लोगों के वोट या छंद कारण उपस्थित नहीं हो सकते थे, तो उन लोगों के वोट या छंद बहुत होशि- यारी के साथ इकट्ठे किए जाते थे। यदि यह काम नहीं होता था, तो कार्रवाई भी ठीक नहीं समझी जाती थी। पर यदि उपस्थित होनेवाले सदस्य आपत्ति करते थे, तो इस प्रकार एकत्र

विनय, महावग्ग ६.३.४७-८, रहीस डेवि

तथा ओल्डन- बर्ग के अनुवाद के आधार पर। S. B.E. खंड १७. पृ० २६५.