पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(१७७) किए वोट या छंद अस्वीकृत भी कर दिए जाते थे। उन वोटों अथवा छंदों को गिनना या न गिनना तो उपस्थित सदस्यों की इच्छा पर ही निर्भर होता था, परंतु फिर भी नियमानुसार उनका संग्रह कर लेना आवश्यक होता था; और एकत्र होने के समय लोग यह आशा करके आते थे कि इस प्रकार के वोट या छंद इकट्ठे कर लिए गए होंगे। "हे भिक्खुनो, यदि किसी बत्ति दुतीयवाले कार्य के समय वे सब भिक्खु, जो छंद देने के अधिकारी हैं...उपस्थित न हो, परंतु जो लोग छंद प्रदान करने के अधिकारी हैं, उनका छंद यदि समूह के सामने अथवा अधिवेशन में न लाया जाय और यदि उपस्थित भिक्खु लोग विरोध करें, तो ऐसी अवस्था में जो कार्य होगा, वह अपूर्ण समूह या समाज का काम होगा।" "हे मिक्खुनो, यदि किसी अति दुतीयवाले कार्य के समय वे सब भिक्खु उपस्थित हों जिन्हें छंद प्रदान करने का अधि- कार है, परंतु जिन लोगों को छंद प्रदान करने का अधिकार है, उन लोगों का छेद समूह या समाज के सामने न लाया गया हो और यदि उपस्थित भिक्खु लोग विरोध करें, तो उस अवस्था में जो कार्य होगा, वह अपूर्ण समाज या समूह का कार्य होगा।" ६१०६ यदि संघ किसी प्रतिज्ञा या प्रस्ताव को सर्व- सम्मति से स्वीकृत करता था, तो छंद प्रदान करने का प्रश्न S. B.E खंड १७ पृ० २६६. हि-१२