पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२१०

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( १७६) करेगा, जिसके मन में किसी प्रकार का द्वेष न होगा, जो किसी प्रकार की मूर्खता न करेगा......भय न करेगा, जो यह जानता होगा कि कौन से छंद लिए गए हैं और कौन से नहीं लिए गए हैं। "और उस शलाका ग्राहक की नियुक्ति इस प्रकार होगी- "पहले उस मिक्खु से प्रार्थना की जायगी (कि प्राप यह पद ग्रहण करेंगे या नहीं)। तब कोई सुयोग्य और विचारशील भिक्खु इस विषय को संघ के सामने यह कहकर उपस्थित करेगा- "आदरणीय संघ श्रवण करे 1 "यदि संघ को समय मिले तो संघ अमुक नाम के भिक्खु को शलाका ग्राहक नियुक्त करे (आदि आदि) "उसी भिक्खु शलाका ग्राहक के द्वारा छंद संगृहीत होने चाहिए। और धर्म द्वारा रक्षित भिक्खुओं की अधिक संख्या जो कुछ कहेगी, उसी के अनुसार किसी विषय का निर्णय होगा।"

-चुल्लवग्ग ४. ६.५. S. B. E. २०. पृ० २५.

मनु (८.१०.) के अनुसार प्राचीन काल में किसी न्यायाधीश या जज के साथ जो सभा बैठती थी, उसकी विषम संख्या (३) भी यही बहुमत का नियम बतलाती है। अर्थ-शास्त्र में भूमि संबंधी झगड़ों के निपटारे के लिये पड़ोसियों की सभा या ज्यूरी के द्वारा निर्णय कराने का जो विधान है, उसमें स्पष्ट रूप से लिखा है-'भूमि संबंधी झगड़ों का निपटारा आस पास के ग्रामवृद्धों के द्वारा होना चाहिए। यदि