पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२१८

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(१८७) धर्मसभाओं में, जैसा कि प्रोफेसर रहीस डेविड्स ने अभी बतलाया है, कार्य-विवरण लिखनेवाले लेखक रखा करते थे । यह तो निश्चित ही है कि 'दंड संबंधी प्रस्ताव' और इसी प्रकार के दूसरे 'कानून' और 'निर्णय' आदि, जो धर्मसभाओं में स्वीकृत होते थे, लिख लिए जाते थे और हम यह भी जानते हैं कि लिच्छवी लोग न्याय विभाग का अथवा अदालती बातों का पूरा पूरा विवरण रखा करते थे। प्रजातंत्री गणों के सदस्यों की संख्या बहुत अधिक होती थी, इसलिये उनमें एक से अधिक लेखकों की भी आवश्यकता होती थी। उपस्थित सदस्य अपने अपने आसन पर से भाषण किया करते थे और जो लेखक उस विभाग के समीप हुआ करते थे, वे उन भाषणों को लिख लिया करते थे। यह भी प्रत्यक्ष ही है कि इन सभाओं के लेखक अच्छे प्रतिष्ठित पुरुष हुआ करते थे। 8 ११५. ईसा से छः शताब्दी पहले सुदूर भूत का जो यह दृश्य प्रस्तुत किया गया है, उससे यह बात स्पष्ट रूप से जान पड़ती है कि उस समय की अवस्था बहुत शब्दों और कार्यप्रणाली हो उन्नत और विकसित थी। पारिभाषिक का ऐतिहासिक महत्व शब्द भी थे और निश्चित या बंधी हुई भाषा भी थी; और साथ ही बहुत उच्च कोटि के संघटन और रहीस डेविड्स के Dialogues of the Budha, मे यह भी लिखा है- 'धर्म सभाओं के अधिवेशनों में इस प्रकार के कार्यविवरण- लेखक अवश्य रहा करते होंगे।