पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२१९

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(१८८) कानून या नियम की पाबंदी के भाव भी रहते थे। इसे देखते ही यह ध्यान आता है कि इस संबंध में लोगों का शताब्दियों पहले का अनुभव होगा। ज्ञप्ति, प्रतिज्ञा, गणपूर्ति, शलाका, बहुतर या बहुमत और सम्मुख विनय आदि शब्दों का बुद्ध ने बिना किसी प्रकार की व्याख्या के उल्लेख किया है; और इस प्रकार उल्लेख किया है जिससे सूचित होता है कि ये सब पारि- भाषिक शब्द उस समय लोगों में अच्छी तरह प्रचलित थे। ६११६, जातकों को, जो कि बुद्ध के समय से भी पहले के हैं, देखने से इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता कि राज- नीतिक विषयों मे छंदक या वोट लेने की जातक और छंदक प्रथा शाक्य मुनि के जन्म धारण करने से भी पहले से ही प्रचलित थी। जातक खंड १ (पृ. ३६८) में इस बात का वर्णन है कि एक नगर के खाली राजसिंहासन के लिये राजा का किस प्रकार चुनाव हुआ। सब मंत्रियों और राजनगर की सभा के सदस्यों अथवा राजनगर के निवासियों या नागरिकों ने छंद प्रदान द्वारा एकमत होकर (एक- छंदाहुत्वा) अपने नए राजा का निर्वाचन किया। इसमें नगर के सभी निवासियों की सम्मति ली गई थी जिसे अँगरेजी मे Referendum कहते हैं। इसमे नगर की केवल सभा के ही सदस्यों की सम्मति नही ली गई थी, क्योंकि पाली भाषा मे नगर की सभा के लिये नेगम शब्द है, (देखो आगे सत्ताइसवॉ ... फास्बोल का संस्करण ।