पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२२३

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( १८२) लिये संपत्ति पर अधिकार करते थे, अधिवेशन करते थे, प्रस्ताव खोकृत करते थे और अपराधियों को दंड देते थे। वे अपने सभी आध्यात्मिक कृत्यों में प्रजातंत्री शाक्य थे और उनकी सारी व्यवस्था में संघटित आध्यात्मिक प्रचार या विजय-प्राप्ति का भाव भरा हुआ था। अपने आध्यात्मिक उद्देश्यों में सफलता प्राप्त करने के लिये उन्हें अपने धर्म संघ को स्थायी करना था- अपने धर्म के प्रजातंत्र को स्थायी बनाना था; और इसी लिये उन्हें राजनीतिक प्रजातंत्रों की शासन-संबंधी कार्य- प्रणालियों तथा संघटन को ग्रहण करना पड़ा था। मेरे इस कथन का स्पष्ट उत्तर नहीं दोगे, तो इसी जगह तुम्हारे सिर के टुकड़े टुकड़े उड़ा दिए जायेंगे।' अवट्ट सुत्त, २०, रहीस डेविड्स कृत Dialogues १. ११४-११६.