पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२२६

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(१६५) प्रजातंत्र या Democracies कहा है। उनमें जन्म या जाति के विचार से प्रत्येक व्यक्ति समान होता था। कठों और सौभूतो की शासन-प्रणालियों में मत अथवा छंद प्रदान करने का अधिकार केवल जन्म के ही आधार पर प्राप्त होता होगा; क्योंकि उन लोगों में राजा का निर्वाचन केवल व्यक्तिगत गुणों के ही विचार से हुआ करता था, कुल आदि का कोई विचार नहीं होता था; और राज्य का मुख्य ध्यान इसी बात पर रहता था कि सब प्रकार से सब व्यक्तियों की उन्नति हो। शाक्यो की सभा में इमे छोटे बड़े सभी एकत्र दिखाई देते हैं; और वृष्णियों के संघ में पिता, पुत्र और उसके छोटे भाई (कृष्ण, प्रद्युम्न और गद) सब को मत या छंद प्रदान करने का अधिकार था। (६१६७.) $ ११८.पाणिनि ने शब्दों के ऐसे ऐसे रूप बनाने के नियम दिए हैं जिनसे यह सूचित होता हो कि किसी व्यक्ति का जन्म किस देश का है (४.३,६०), वह इस प्रजातंत्रों में विदेशी समय कहों का निवासी है (४.३.८६), भी नागरिकता का अधि- और वह किस विशिष्ट देश, वर्ग (trnbe) शासक या जनपद के अधिकारी प्रजा- तंत्री शासको के प्रति भक्ति रखता है। पतंजलि ने जो उदा- कार प्राप्त करते थे

अभिजनश्च । ४।३।६०॥

| सोऽस्य निवासः । ४ । ३ । ८६ ।।

  • पाणिनि, ४.३. १५-१००, भक्तिः ॥९॥ अचित्ताददेशकाला-