पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२४८

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(२१७) स्थापित की गई थी और तीन बार वह फिर एकराज शासन- प्रणाली के रूप में परिवर्तित की गई थी* । दुआब की एकरान शासन-प्रणाली की किसी मुख्य राजधानी मे, जहाँ प्राचीन ऐतिहासिक लेख आदि रक्षित रखे जाते थे, इस संबंध का प्रवाद प्रचलित रहा होगा। ६ १२६, कुछ ऐसे प्रजातंत्री सिक्के भी मिले हैं जो या तो गण के नाम से अंकित हैं और या देश के नाम से। और एक प्रकार के सिक्को तो ऐसे मिले हैं कृत्रिम अवस्था जिन पर गण को रक्षक यात्राता (त्रात-सि) कहा गया है। यद्यपि इस प्रकार के सिक्के कुछ बाद के हैं, तथापि इनसे यह अवश्य सूचित होता है कि इस प्रकार की प्रवृत्ति बहुत पहले से चली आ रही थी। इस प्रकार हम उस अवस्था तक आ पहुंचते हैं जिसमें कृत्रिम रूप से देश की सीमा निर्धारित होती है अथवा केवल सीमा के विचार से राष्ट्र का निर्देश होता है और शासन केवल भावात्मक रह जाता है। हमें आर्जुनायन मिलते हैं, जिनका नामकरण केवल एक मूल पुरुष आर्जुनायन के नाम पर हुआ है; और प्रार्जुनायन शब्द का अर्थ है --अर्जुन के वंश का कोई व्यक्ति । इस प्रकार बहुत कुछ पहले ही शासन-प्रणाली के पुराने जाति, वंश या गोत्र के 2

  • मैककिंडल कृत Megasthenes, पृ० २०३.

+ वृष्णि सिका, जिसका उल्लेख पहले हो चुका है। +देखो पाणिनि का गणपाठ ४. २. ५३.