पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२५५

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( २२४) के चिह्नों को अब तक रक्षित रखा हो, उसके लिये संघटन- निर्माण की उन्नत अवस्था में पहुँचने पर इस प्रकार की उन्नत शासन-प्रणाली ग्रहण करना कोई प्रसंभव या बे-मेल बात भी नहीं है। परंतु ऐसे प्रजातंत्रों को केवल गोत्रीय संघटन या गोत्रीय प्रजातंत्र कहना अवैज्ञानिक होगा-वैज्ञानिक दृष्टि से ठीक न होगा। यदि पूरी छानबीन की जाय तो यही प्रमा- णित होगा कि प्राचीन रोम तथा यूनान का प्रत्येक राज्य प्रारंभ में गोत्रीय ही था; परंतु शासन-प्रणालियों का इतिहास जाननेवाला कोई विद्वान् रोम तथा यूनान के प्रजातंत्रों को केवल गोत्रीय संघटन या संस्था कहने की कल्पना भी न करेगा।