पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२५६

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कौटिल्य तक सोलहवाँ प्रकरण उदय-काल का सिंहावलोकन ६१२८. इस प्रकार हमे ऐतरेय ब्राह्मण तक के समय में भी हिदू प्रजातंत्रों के अस्तित्व और अच्छी दशा में होने के प्रमाण मिलते हैं। उस समय तक प्राचीन ऐतरेय ब्राह्मण से हिंदुओं ने अनेक प्रकार की शासन- प्रणालियों का विकास कर लिया था; और प्रत्येक प्रकार की शासन-प्रणाली के लिये अभिषेक संबंधी कुछ विशिष्ट कृत्य या विधान भी निर्धारित कर लिए थे। अवश्य ही ऐतरेय ब्राह्मण की रचना से कई शताब्दी पहले ही उन लोगों ने उन शासन-प्रणालियों का प्रयोग करके उनके संबंध मे अनुभव प्राप्त कर लिया होगा। इस वैदिक ग्रंथ का रचना- काल ईसा से एक हजार वर्ष पूर्व के लगभग माना जाता है। उसके अंत में राजा परीक्षित के पुत्र राजा जनमेजय तक का उल्लेख है। उसमें दिए हुए उत्तर कुरुओं के इतिहास से भी यही सूचित होता है कि उसका रचना-काल बहुत प्राचीन है। परवर्ती वैदिक साहित्य मे उत्तर कुरु लोग पौराणिक कोटि मे पा जाते हैं और उनका देश भी पौराणिक कोटि में चला जाता है; पर जैसा कि हम अभी बतला चुके हैं, ऐतरेय हि-१५