पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२६२

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गण राज्य (२३१) अपने संघात के कारण बच रहे थे। इसी प्रकार राष्ट्रिक और भोजक भी, जिन्होंने पतंजलि के समय में मिलकर खारवेल के साथ युद्ध किया था*, बचे रह गए थे ६१३०. कौटिल्य तथा सिकंदर के समय की शासन-प्रणाली के इतिहास की जो बाते अब तक मालुम हुई हैं, उन पर ध्यान अशोक के अधीनस्थ रखते हुए हम अशोक के शिलालेखों की एक बात अच्छी तरह समझ सकते हैं। अशोक ने अपने शिलालेखों में जिन राजनीतिक समाजों या बिरादरियों का उल्लेख किया है, अब हम उनका प्रजा- तंत्री स्वरूप पहचान सकते हैं। प्रधान शिलाभिलेखो के पाँचवे प्रज्ञापन मे अशोक ने नीचे लिखे नाम गिनाए हैं- (१) योन (२) कंबोज (३) गांधार (४) राष्ट्रिक (५) पितिनिक (६) तथा दूसरे अपरांत । (गिरनार का पाठ) कालसीवाले शिलाभिलेख मे केवल १ से ३ तक के नाम गिनाए हैं और उनके बाद "तथा दूसरे अपरांत' दिया है।

खारवेल का हाथीगुफावाला शिलालेख; जरनल बिहार एड

उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी; खंड ३. पृ० ४५५.