पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२६८

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(२३७) नदियों (जैसे गंगा, विपाशा) आदि के हैं और उनमें कुछ अप्र- सिद्ध तथा अज्ञात व्यक्तिवाचक नाम भी हैं। पिटक तथा त्रिताक के साथ नामक और ऊर्णनाभ का उल्लेख है। राजन्यों और प्रार्जुनायनों आदि के प्रजातंत्री वर्ग में भी अर्णनाभों का नाम मिलता है* | नामक संभवतः एक जातीय उपाधि थी जो नाभ जाति से संबंध रखती थी अथवा उसकी सूचक थी। नामपंक्ति, जिनमे बिना राजा की शासन-प्रणाली प्रचलित होने का प्रमाण मिलता है, संभवतः यही अर्णनाभ थे; और ऊर्णनाभ का अर्थ है अर्णवाले देश के नाम। गांधार उन दिनों अपने ऊर्ण या ऊन के लिये बहुत प्रसिद्ध था। ६१३५. अब यह देखना चाहिए कि पुलिदों की शासन- प्रणाली कैसी थी। ये लोग द्रविड़ जाति के थे और राष्ट्रिकों तथा भोजों के पड़ोसी थे। साधारणतः पुलिंद द्रविड़ लोगों में एकराज शासन-प्रणाली प्रचलित थी। ऐतरेय ब्राह्मण में लिखा है कि जिस समय असुरों के साथ हिंदुओं का युद्ध हुआ था, उस समय हिदुओं ने असुरों से एकराज शासन-प्रणाली ग्रहण की थी। परंतु पाणिनि ४.२.५३ | इसमे के पंक्ति शब्द का श्रेणी (पंक्ति या कतार ) और सत्ता- ईसवे प्रकरण (दूसरे भाग) में किए गए उसके अर्थ के साथ मिलान करो। + देखो दूसरा भाग १६६-२००.