पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२७०

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(२३६ ) को जीतकर अपने राज्य में मिलाया था। इस कथन का संबंध दक्षिण देश के दक्षिणी भाग से होना चाहिए, क्योंकि उससे ऊपर का सारा प्रदेश पहले से ही चंद्रगुप्त के अधिकार में था। जान पड़ता है कि विजय प्राप्त करने के उपरांत मौर्य राजनीतिज्ञो ने ( कहा जाता है कि कौटिल्य तब तक जीवित था) अंध्रों के राजवंश को अधिकार-च्युत कर दिया था; और संभवतः उनसे समझौता करके किसी संघ शासन-प्रणाली के अनुसार उन्हें स्वयं अपना शासन करने के लिये छोड़ दिया था। आठ मे से छः राजविषयों के संबंध मे पता चलता है कि उनमें प्रजातंत्र शासन-प्रणाली प्रचलित थी। बाकी दो मे से एक पुलिदों की शासन-प्रणाली के संबंध में कदाचित् ही कोई संदेह किया जा सकता हो । अब बाकी रहा केवल एक अंध्र, सो उसके संबंध मे सब से अधिक दृढ़ अनुमान यही हो सकता है कि अशोक के साम्राज्य के अंतर्गत उसमे भी कोई राजा-रहित शासन-प्रणालो ही प्रचलित थी। ६ १३७. यह जानना आवश्यक है कि अशोक के बत- लाए हुए ये यवन कौन थे। इससे आप से आप एक बड़े विवाद का अंत हो जायगा। अशोक के योन, राजविषय योन, • जायसवाल लिखित 'The Empire of Bindusara, J. B. O. R.S.खड २. पृ०२२ । यवनो के संबंध मे देखो नीचे 8 १३७-१४०.