पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२७१

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(२४०) मौर्य साम्राज्य की सीमाओं के अंदर ही थे। अशोक के लेखों में योन और कांबोज एक साथ रखे गए हैं और मनु में "कांबोज और यवन' एक साथ मिलते अशोक के यवन हैं । इस बात में किसी प्रकार का संदेह नहीं हो सकता कि ये यवन कांबोजों के पड़ोसी थे। कांबोज लोग काबुल नदी (आधुनिक कंबोह) के तट के 'निवासी माने जाते हैं। तो फिर ये यवन कौन थे? ये काबुलियों के पड़ोसी थे ; इसलिये यह भी निश्चित है कि ये लोग या तो काबुल नदी के तट पर और या कहीं उसके आस- पास रहते थे। इसके अतिरिक्त अशोक के अनुसार ये अपना शासन आप किया करते थे और मनु* से यह पता चलता है कि यद्यपि ये लोग पहले शासक जाति ( क्षत्रियजातियः) के थे, पर ये बहुत दिनों से आर्य लोगों के पास रहते आए थे और इनकी जाति च्युत जाति के समान समझी जाती थी। महाभारत से पता चलता है कि ये लोग शासक नहीं रह गए थे और कांबोजों आदि की भॉति हिंदू राजाओं की अधीनता में रहते थे। इन सब विवरणों से एक ही प्रकार की बातें सूचित होती हैं। ये यवन लोग उस सिकंदरिया नगर के रहनेवाले तो हो ही नहीं सकते, जिसे सिकंदर ने काकेशस या काफ पर्वत में स्थापित किया था। उन लोगों में कभी स्वराज्य

शकों अर्थात् सीस्तान के शकों के साथ । मनु १०.४४.

| शांतिपर्व, अध्याय ६५.श्लो० १३-१५.