पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२७२

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(२४१) या प्रजातंत्र प्रणाली नहीं प्रचलित हुई थी। मैसिडोनिया के कुछ थोड़े से ऐसे सिपाही अवश्य थे, जो युद्ध में आहत होने के कारण बेकाम हो गए थे और जो उस स्थान से हट जाने के लिये बहुत उत्सुक थे। संभव है कि सिकंदर की मृत्यु के उपरांत उन्हें अवसर मिल गया हो और वे वहाँ से हट आए हैं। इसके अतिरिक्त इस बात का निश्चित प्रमाण मिलता है कि कुभा या काबुल नदी के तट पर कुछ यूनानी लोग रहते थे और सिकंदर के आक्रमण से बहुत पहले से रहते थे। बड़े आश्चर्य की बात है कि अभी तक लोगों ने इस बात की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया था। पाणिनि मे यवनानी शब्द आया है, जिसके कारण कुछ लोग कहा करते हैं कि पाणिनि का समय भारत से यवनों के आने के पश्चात् का है। पर इस बात से जहाँ और बातो का निराकरण होता है, वहाँ एक इस प्रश्न का भी निराकरण हो जाता है ११३८. सिकंदर के समय मे काबुल के यवनों ने भा- रतीय प्रजातंत्रों के ढंग पर एक नगर राज्य स्थापित किया था। यह बात अशोक के राजविषय संबंधी विवरण से पूरा पूरा मेल खाती है। संभवतः ये लोग फारसी यूनानी थे, अर्थात् वे यूनानी थे जो फारसी साम्राज्य की अधीनता मे अपने मूल निवासस्थान से हटकर इधर चले आए थे। उनके नगर का नाम नीसा इस बात का प्रबल प्रमाण है कि फारसवालों के साथ उनका संबंध था। वे लोग हिंदू बना लिए गए थे। हि-१६ 1