पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२७५

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अठारहवाँ प्रकरण सुंग काल के और उसके परवर्ती प्रजातंत्र 8 १४१, शुंग काल में हमें कुछ ऐसे पुराने प्रजातंत्र मिलते हैं जो मौर्य नीति के बाद भी वच रहे थे। जैसा कि अपर वतलाया जा चुका है, इन सब के बहुत ही बढ़ संघात थे। परंतु शुंग काल में भी कुछ ऐसे प्रजातंत्र थे जो बिलकुल अलग रहते थे और जो किसी संघात में सम्मिलित नहीं थे। इनमें से अधिकांश का तो पता इधर हाल में ही उनके सिक्कों से चला है और जान पड़ता है कि वे नए राज्य थे। पुराने राज्यों में से अधिकांश ऐसे ही हैं जो फिर दोबारा हमें नहीं दिखाई देते; और इससे आवश्यक तथा निश्चित परिणाम यही निकलता है कि मौर्य साम्राज्य के समय में ये सब नष्ट हो गए थे। इन सब का दूसरा नाशक उन उत्तरी क्षत्रपों का विदेशी शासन था जिनकी राजधानी मथुरा मे थी। इन पर्वरों की उपस्थिति से भारतीय प्रजातंत्रों के इतिहास में एक नई घटना हो गई; और वह यह कि जो अधिक बलवान् प्रजातंत्र थे, वे हटकर राजपूताने में चले गए। ११४२. पुराने प्रजातंत्रवालों में से एक यौधेय लोग भी थे। वे लोग केवल मौर्य साम्राज्य के वाद ही नहीं बच रहे