पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२८१

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( २५० ) चलता। जिस समय क्षुद्रक लोग पंजाब से पूर्वी राजपूताने की ओर जाने लगे थे, संभवतः उसी समय वे लोग पूरी तरह से सालवों में मिल गए थे। करकोट नागर ( जयपुर राज्य ) में मालवों के जो प्रारंभिक सिक्के मिले हैं, उनसे प्रमाणित होता है कि मालव लोग ई० पू० सन् १५० या १०० तक अपने नए निवासस्थान में पहुंच गए थे। ठीक यही समय पार्थियन शकों के आगमन और आक्रमण का था। जान पड़ता है कि मालव लोग भटिंडा (पटियाला राज्य) के रास्ते से गए थे, जहाँ वे अपने नाम के चिह्न छोड़ गए हैं। (यह चिह्न मालवई नामक बोली के रूप में है, जो फीरोजपुर से भटिंडा तक बोली जाती है। Linguistic Survey of India, खंड . १. पृ० ७०६.) ई० पू० सन् ५८ से पहले मालव लोगों ने अजमेर के पाश्चम में उत्तमभद्रों पर घेरा डाला था और नहपान की सेना ने आकर वह घेरा हटाया था। $ १४८, ई० पू० सन् ५८ में गौतमीपुत्र के द्वारा नह- पान परास्त और निहत हुआ था। गौतमीपुत्र ने नहपान के सिके फिर से ढाले थे और मालवों के गण ने उसी तिथि से

विन्सेन्ट स्मिथ कृत Catalogue of Coins I. MC.

खंड १ पृ० १६१. +कनि घम, A. S. R. खंड १४, पृ० १५०.

  • Epigraphia Indica, खंड ८.पृ. ४४ जायसवाल । His-

torical position of Kalki etc. I. A. १९१७. पृ० १५३-२,