पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२८४

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( २५३) 8 १५०. जिस प्रांत में मालव लोग बाद मे जाकर बसे थे, उसी मे शिबि लोग भी दिखलाई पड़ते हैं। सिकंदर के समय में शिबि लोग मालवो के साथी शिबि थे; और यूनानी लेखकों के कथनानुसार ये. लोग बहुत जंगली थे या कम से कम युद्ध में बिलकुल जंगलियों के से कपड़े पहना करते थे। जान पड़ता है कि ये लोग मालवों के साथ ही राजपूताने गए थे; और वहीं चित्तौर के निकट नगरी नामक स्थान में इनके सिके पाए जाते हैं। उन सिक्कों पर 'मझिमिकाय शिबि जनपदस' अर्थात् मध्यमिका के शिबि देश या जाति का नाम अंकित रहता है *। ई० पू० पहली शताब्दी के बाद का उनके अस्तित्व का कोई प्रमाण या लेख आदि अभी तक नहीं मिला है। 8 १५१, आर्जुनायन लोगों का पता न तो पाणिनि या पतंजलि में और न महाभारत में ही लगता है। परंतु गण- पाठ के राजन्य-वर्ग मे ये लोग सम्मिलित आर्जुनायन कर दिए गए हैं। कदाचित् ये लोग बहुत बाद मे हुए थे और इसी लिये इनका उल्लेख भी अंत में ही है। कनिंघम,A.S R. खंड १४. पृ० १४६ मध्यमिका ( जिससे पतंजलि परिचित था) इनकी राजधानी थी। + पहले पहल इनका उल्लेख पाणिनि के गणपाठ (१.१ ११२.) से मिलता है। I देखो 8 १५३. महाभारत में उल्लिखित राजपूताने के प्रजातनों का विवेचन