पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२८८

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1 - , 1 ( २५७ ) उससे भी पहले के हैं; क्योंकि अर्थशास्त्र की भॉति उनमें भी कुकुर लोग मद्रकों और यौधेयो आदि के साथ रखे गए हैं। ५२ अध्याय के अनुसार पंजाब में उस समय तक भी ये सब प्रजातंत्र अवस्थित थे ई० पू० १०० के उल्लेख मे अर्थात् ३२वें अध्याय में महाभारत में कुछ ऐसे प्रजातंत्रो का उल्लेख है जो उससे पहले के साहित्य मे नहीं मिलते। उनके नाम इस प्रकार हैं- (१) उत्सवसंकेतों के गण, (२) शूद्रों और प्रामीरों के प्रजातंत्र, जो सिधु नद की तराई मे बतलाए गए हैं जान पड़ता है कि शूद्रों का प्रजातंत्र वही है जो दक्षिणी या नीचे के सिध में सिकंदर को मिला था और जिसके संबंध मे हम पहले ही यह कह चुके हैं कि ये लोग शौद्र या गप- पाठ के शौद्रायण हैं। व्याकरण के अनुसार यह निश्चित है कि इनका यह नाम किसी व्यक्ति-विशेष शूद्र के नाम पर पड़ा था, शूद्र जाति के नाम से इसका कोई संबंध नहीं था। संभव है कि पंचकर्पटों और उत्सवसंकेतों के पड़ोसियों मे प्रजातंत्र शासन-प्रणाली प्रचलित रही हो। यद्यपि महा- भारत में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है, तथापि समुद्रगुप्त ने आभीरों को माद्रकों के ठीक बाद मे रखा है और देखो ऊपर पृ० १२० का पहला नोट । समुद्रगुप्त के शिलालेखों में जिन एकराज-रहित समाजो का हि-१७