पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(२६४) यह राज्य पुराना था, क्योंकि पाणिनि ने इसका उल्लेख एक सूत्र मे किया है जिसमें उसके प्रति भक्ति रखनेवाले की बात आई है। यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि पाणिनि के समय में इस राज्य में किस प्रकार की शासन- प्रयाली प्रचलित थी; परंतु जैसा कि इसके सिक्कों से प्रमाणित होता है, शुंग काल में इस राज्य में प्रजातंत्र शासन-प्रणाली प्रचलित थी। इसके सिक्के पंजाब में पाए गए हैं। इन लोगों के सिक्कों पर दूसरी ओर जो सॉड़ और बाल चन्द्र की मूर्ति अंकित है, उससे सूचित होता है कि ये लोग शैव थे। 8 १६२, जब मौर्य काल का अंत होने लगा और मौर्य लोग दुर्बल होने लगे, तब भी आर्जुनायनों की भाति कुछ नए प्रजातंत्रों की सृष्टि हुई थी। इस वर्ग वामरथ और शालंकायन मे कात्यायन और पतंजलि के वामरथ और पतंजलि के शालंकायन लोग हैं। इन लोगों का पता न तो इस काल के उपरांत लगता है और न इससे पहले के काल में इनका कहीं नाम सुनाई पड़ता है। शालकायनों के संबंध मे काशिका से हमे यह पता चलता है कि ये लोग वाहीक देश में रहते थे। इस बात का

- पाणिनि ४ १. १५१. पर भाष्य ।

। पतंजलि का महाभाष्य ५.१ १८. त्रिकाः शाल कायनाः । काशिका पृ० ४५६.