पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/२९९

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उन्नीसवाँ प्रकरण शासन > लोप १६५. राजपूताने में जो प्रजातंत्र या गण शासन-प्रणाली प्रचलित थी, उस पर गुप्त शक्ति ने आघात किया था। गुप्तों के साम्राज्य की स्थापना प्रजातंत्री लिच्छ- गुप्त और गण वियों के मेल या मित्रता से ही हुई थी * जो मौर्य और शुंग काल के उप- रांत भी बच रहे थे और बहुत अधिक बलवान हो गए थे। वे बल तथा वैभव में अपने प्राचीन समकालीनों से बहुत बढ़े चढ़े थे और प्राचीन प्रजातंत्रियों में से वही अकेले बच रहे थे। ६१६६, इसी समय के लगभग राजपूताने में प्राचीन प्रजातंत्रों या गणों के भग्नावशेष पर एक नए प्रजातंत्र या गण की रचना हुई थी। जैसा कि इसके पुष्यमित्र नाम से सूचित होता है, इसकी स्थापना किसी पुष्यमित्र ने की थी। पुराणों में विदिशा और उसके आसपास के अंध्र काल के बाद के जिन शासकों का उल्लेख है, उनमे कांचनका नाम की एक नई राजधानी के शासकों का भी नाम पाया है। कांचनका के अंतिम शासक, जो

- गुप्त साम्राज्य के सिक्कों पर सम्राट चंद्रगुप्त प्रथम के नाम के

साथ साथ इन लोगो का नाम भी अंकित है >