पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३१०

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(२७६) ६१७३. ऊपर दिए हुए प्रमाणों से यह बात सिद्ध होती है कि गणों में अधिकारों और कार्यों का विभाग हुआ करता था । उदाहरण स्वरूप, पटलों में सैन्य- अधिकारो का संचालन का अधिकार दूसरे लोगों के विभाग हाथ में होता था और शासन का अधि- कार दूसरे लोगों के हाथ में। लिच्छवियों से न्याय-विभाग, सैन्य-संचालन और शासन तीनों अलग अलग अधिकारियों के हाथ मे होते थे। इसी प्रकार, जैसा कि यूनानियों ने देखा था, कई राज्यों मे सेनापति चुना जाता था; और गणों के मुख्यों या प्रधानों में उन ईश्वरांशवाले भाव का नितांत अभाव हुआ करता था जो साधारणतः राजाओं में माना जाता है। इन सब बातों से यही सूचित होता है कि उस समय तक लोगों ने गणों का कार्य संचालन करने का बहुत अधिक अनुभव प्राप्त कर लिया था और उनमे इस कार्य के लिये बहुत उच्च कोटि की समझदारीमा गई थी। 8 १७४. हमें आजकल राजनीति या शासन-विज्ञान संबंधी जो ग्रंथ मिलते हैं, वे उसी पक्ष के लोगों के लिखे हुए मिलते हैं, जो एकराज शासन में रहते दार्शनिक आधार थे अथवा उसके पक्षपाती थे। यदि हमें गण शासन-प्रणाली के पक्षपातियों का लिखा हुआ कोई ग्रंथ मिल जाता, तो अवश्य ही उसके द्वारा हमे गण राज्यों की राजनीति के संबंध मे बहुत से सिद्धांतों आदि का पता