पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३१४

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. (२८३) सकता*यदि कोई बलवान नागरिक कानून या धर्म का पालन करतारहे,तब तो कुशल ही है, परंतु यदि वह विद्रोही हो जाय, तो वह सब कुछ निःशेष या नष्ट भी कर सकता है। और एकराज शासन-प्रणाली के पक्षपाती प्रजातंत्र-वादियों के सिद्धांतों में से अराजक शासन-प्रणाली का सिद्धांत लेकर कह सकते हैं कि हमारा एकराज शासन-प्रणाली का सिद्धांत सबसे अच्छा है। परंतु अराजक सिद्धांत में राज्य का जो पहला आधार सामाजिक बंधन होता है, उसकी वे लोग उपेक्षा नहीं कर सकते। अराजक प्रजातंत्र वादियों के अनुसार नाग- रिकों में परस्पर एक प्रकार का समझौता हो जाता था और उसी के आधार पर राज्य की स्थापना होती थी । वास्तव में अराजक राज्य के संबंध में यह बात बहुत ठीक थी। जब एकराज शासन-प्रणाली के पक्षपाती राजा और प्रजा में धर्म-

- नहि राज्यात्पापतरमस्ति किंचिदराजकात् । शान्तिपर्व, अ० ६७.७.

(कुम्भकोणम्वाली प्रति) +स चेत्समनुपश्येत समग्रं कुशलम्भवेत् । बलवान् हि प्रकुपितः कुर्यानि शेषतामपि । उक्त ग्रंथ तथा अध्याय, श्लोक ८ समेत्य तास्ततश्चक्रुः समयानिति नः श्रुतम् । उक्त ग्रन्थ तथा अध्याय, श्लोक १८. विश्वासार्थं च सर्वेषां वर्णानामविशेषतः । तास्तथा समयं कृत्वा समयेनावतस्थिरे । उक्त ग्रन्थ तथा अध्याय, श्लोक १६.