पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३२२

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(२६१ ) महाभारत में कहा गया है कि गण राज्य में वास्तविक भय आंतरिक तभेद या वैमनस्य का ही होता है। उसके मुकाबले मे बाहरी शत्रुओं का भय तुच्छ है। ६८१. कहा गया है कि आन्तरिक मतभेद या वैमनस्य के कारण गण टूट जाया करते हैं। जैसा कि हम ऊपर कह चुके हैं, इसका यही अभिप्राय समझना चाहिए कि कभी कभी उनमें दलबंदी होने लगती थी और इस प्रकार नए राज्यों की सृष्टि होती थी। इन सब बातो से यही सिद्ध होता है कि हिंदू प्रजातंत्र-राजनीति की दुर्बलताएँ यही थी कि गण राज्य छोटे छोटे हुआ करते थे और उनकी प्रवृत्ति और भी छोटे ही होने की ओर होती थी; उनके राजनीतिज्ञों और राज्य संचा- लकों में परस्पर ईर्ष्या और प्रतिद्वंद्विता उत्पन्न हो जाती थी; और सब लोगों को सब के सामने सब कुछ कहने का अधि- कार होता था।