पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३२३

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इक्कीसवाँ प्रकरण गणों का मानव-विज्ञान हुधा प्रश्न ११८२. मि० विन्सेन्ट स्मिथ ने अपने एक पत्र में* गणों के मानव-विज्ञान का प्रश्न उठाया है। यह विषय मि० स्मिथ सरीखे विद्वान् ने उठाया है, इसलिये मैं मिस्सिथ का उठाया यह बात बहुत ही आवश्यक समझता हूँ कि हम गणों पर विचार करनेवाले के रूप में इसका भी विवेचन करें। मि. स्मिथ की यह सम्मति है कि प्रारंभिक गणों के प्रवर्तकों का मूल तिब्बतियों की भॉति मंगोलिया था; अर्थात् वे लोग मंगोलिया से आए थे। वे लिखते हैं-"मैं समझता हूँ कि प्रारंभिक ईसवी शताब्दियों के भारतवासी प्रायः चिपटी नाकवाले और तिब्बतियों से बहुत कुछ संबद्ध होते थे- देखिए भरहूत और साँची की मूर्तियाँ । लिच्छवि लोग भी निश्चय ही इसी प्रकार के थे; और पहाड़ी जातियों मे प्रच- लित प्रणालियों से गयों की कार्य-प्रणाली का सबसे अच्छा पता चलवा है। मेरा विचार है कि बुद्ध और महावीर दोनों ही अवश्यमेव अर्ध-मंगोलियन ढंग के पहाड़ी थे, चाहे उन्होंने

- यह पत्र २६ नवंबर सन् १९१७ का है।