पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३३

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( २ ) (३) हिंदू संघ-राज्य (पंचायती राज्य, Republics) ई० पू० १००० से ई०पू० ६०० तक; (४) हिंदू राजत्व, वैदिक काल से ई० पू० ६०० तक ; (५) जानपद और पौर, ई० पू०६०० से ई० ५० ६०० तक; (६) हिंदू राजाओं की परिषद्, ई० ५० १००० से ई० प० ६०० तक (७) हिंदू राजाओं की सभा या न्यायालय ई० पू० ७०० से ई०प०६०० तक; (८) कर-व्यवस्था और शुल्क आदि, ई० ५० १००० से ई०६०० तक (६) हिंदू साम्राज्य तंत्र (अर्थात महाराज आधिपत्य, सार्वभौम और साम्राज्य आदि व्यवस्थाएँ ) ई० पू० १००० से ई०प०६०० तक; और (१०) हिंदू राज्यप्रथा का ह्रास और पुनरुत्थान, ई० पू० ६५० से ई० ५० १६५० तक । ६२ हमें इस विषय का ज्ञान प्राप्त करानेवाले साधन हिंदू साहित्य के विस्तृत क्षेत्र मे मिलते हैं। वैदिक, संस्कृत तथा प्राकृत ग्रंथों और इस देश के शिलालेखों ग्रंथ के साधन तथा सिक्कों में रक्षित लेखों से हमें इस विषय की बहुत सी बाते ज्ञात होती हैं। सौभाग्यवश इस समय हमें हिंदू राजनीति शास्त्र के कुछ मूल ग्रंथ भी उपलब्ध हैं। ये थोड़े से ग्रंथ उस विशाल ग्रंथ-भांडार का अवशेष-मात्र हैं जिन्हें