पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३३२

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( ३०१) का तिब्बती रक्त-संबंधा' शीर्षक एक निबंध लिखा था । मि० विन्सेंट स्मिथ ने भारत का जो इतिहास लिखा है, उसके निरंतर कई संस्करणों में उन्होने इसी निबंध का लिच्छवियों का मूल हवाला दिया है; और प्रायः दूसरे लोग निवासस्थान यही समझते हैं कि उस निबंध मे जो सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है, वह ठीक सिद्ध हो चुका है। कहा जाता है कि लिच्छवियों में यह प्रथा थी कि वे अपने मृतकों को यों ही जंगल में फेंक दिया करते थे। मि० स्मिथ के प्रतिपादित सिद्धांत का पहला आधार यही है, क्योंकि उनका कहना है कि तिब्बत में भी यह प्रथा प्रचलित है। दूसरा आधार लिच्छवियों की न्याय-प्रणाली है, जिसके संबंध मे उनका विचार यह है कि वह तिब्बत में प्रचलित न्याय-प्रणाली से बहुत कुछ मिलती जुलती है। परंतु इन दोनों प्राधारों के प्रमाणो को ध्यानपूर्वक देखने से पता चलता है कि "प्राचीन काल में वैशाली के लिच्छवियों की प्रथा" (मुरदों को फेंकने की ) केवल भ्रमात्मक अनुमान के कारण ही मान ली गई है। और यह भी पता चलता है कि दोनों की न्याय-प्रणाली में किसी प्रकार की कोई समानता नहीं थी मि० स्मिथ के कथन का आधार चीन देश में प्रचलित यह प्राचीन दंतकथा है कि महात्मा बुद्ध ने वैशाली में बहुत इंडियन एंटीक्वेरी, १६०३. पृ० २३३-३५. + Early History of India. तीसरा संस्करण, पृ० १५५.