पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३३९

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(३०८) का उल्लेख है, जिस पर बहुत होशियारी के साथ पहरा दिया जाता था और जिस पर गण या प्रजातंत्री शासकों का घभिषेक हुआ करता था* | समस्त बौद्ध साहित्य में एक स्वर से उन्हें उत्तम क्षत्रिय कहा गया है। ६१८६ व्याकरण के नियमों के अनुसार उनका नाम लिच्छ शब्द से निकला है; अर्थात् वे लोग लिच्छु के अनु- यायो या वंशज थे; और संस्कृत में इस शब्द का रूप लिक्षु होगा। लिक्ष शब्द का अर्थ है चिह्न; और लितु शब्द उसी से संबद्ध है। उनका यह नाम संभवतः उनकी आकृति के किसी विशेष चिह्न के कारण पड़ा होगा। लक्ष्मण शब्द इस बात का एक दूसरा उदाहरण है। बिहार और दुआब में अब तक लोगों का नाम लच्छू होता है, जो इसी बात का सूचक है कि जिस व्यक्ति के शरीर पर कोई बड़ा काला या नीला चिह्न होता है, प्राय: उसका यह नाम पड़ जाता है। 8१६०. लिच्छवियों के पड़ोसी मल्ल लोग महापरिनिब्बान सुत्त में वाशिष्ठ कहे गए हैं और वशिष्ठ आर्यों के एक प्रसिद्ध गोत्र का नाम है। महापरिनिब्बान सुत्त ऐसे धूर्त ब्राह्मणों का लिखा हुआ नहीं है जो बर्बर शासकों को आर्य वंशों में सम्मिलित करने के लिये प्रसिद्ध हैं।

  • देखो पृ० ७८ का दूसरा नोट ।

+ महापरिनिव्बान सुत्त १. १६.