पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३४०

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शाक्यो का मूल ( ३०६) 8 १६१. शाक्यों की उत्पत्ति और मूल के संबंध में भी कुछ मतभेद और वादविवाद है। पाली के मान्य ग्रंथकार एक वर से यही कहते हैं कि शाक्य लोग ऐक्ष्वाकों की एक शाखा हैं। इसके विपरीत पक्ष के पुराणों में भी यही कहा गया है कि महात्मा बुद्ध, उनके पिता तथा उनके पुत्र इक्ष्वाकु वंश के थे। बुद्ध के समकालीन लोग भी, जिनमें मगध का राजा अजातशत्रु भी था, बुद्ध को सदा क्षत्रिय ही कहते रहे हैं। जैसा कि हम नए प्रजातंत्रों की सृष्टि के इतिहास और यौधेयों तथा मद्रों के पौराणिक विव- रण में बतला चुके हैं, किसी राज्य का सारा समाज उसके नेता के नाम से पुकारा जाता था। यही बात शाक्य समाज के संबंध में भी थी, जिसका नामकरण स्वयं बुद्ध के नाम पर हुआ था। इसकी व्युत्पत्ति का यह इतिहास उस इतिहास के अनुकूल ही है जो इसी प्रकार के अन्यान्य प्रजातंत्रों के के संबंध में प्राप्त हुआ है। अतः यह ऐतिहासिक तत्त्व मान्य होना चाहिए कि राजा ऐक्ष्वाकु के एक वंशज ने शाक्य प्रजातंत्र की स्थापना की थी और अपने नाम पर उसका नाम रखा था। ६ १९२. प्रवाद है कि बहुत प्राचीन काल में शाक्यों में अपनी बहन के साथ विवाह करने की प्रथा प्रचलित थी, जो अब परित्यक्त हो गई है। इस प्रवाद ने कुछ विद्वानों को

  • महापरिचिधान सुत्त ५. २४.

+ अंबढ़ सुत्त, १६.