पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३४३

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( ३१२) तंत्री मद्रों, सात्वतों, कुरुओं आदि का राज्याभिषेक हुआ करता था और जिनके अनुसार पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम की भौज्य और स्वराज्य शासन-प्रणालियाँ तथा हिमालय के पास की वैराज्य शासन-प्रणाली मान्यता प्राप्त करती थी। ६१८६. किसी विशिष्ट प्रजातंत्री समाज का जातीय मूल चाहे कुछ भी क्यों न हो, पर प्रजातंत्र या गण शासन-प्रणाली भारतीय और सनातनी भारतीय थी। वह ऐतरेय ब्राह्मण और उससे भी पहले के समय की है। प्रजातंत्र और गण राज्य स्वयं उन हिंदुओं के अनुभूत प्रयोग थे, जो किसी समय एकराज शासन-प्रणाली के अंतर्गत थे और बाद में प्रजातंत्री हो गए थे। इसका और अधिक प्रमाण उससे मिलता है जो आज से बाईस शताब्दियों पहले मेगास्थिनीज ने इस देश में देखा और जाना था ( १८)।