पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३५२

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( ३२१) वासुदेव ने कहा- हे मुने, तुम मुझे यह बतलाओ कि वह कौन सा ऐसा शस्त्र है जो लोहे का नहीं है, जो बहुत ही मृदु है और फिर भी जो सबके हृदय छेद सकता है और जिसे बार बार रगड़कर तेज करते हुए मैं उन लोगों की जीभ काट सकता हूँ। (२०) नारद ने कहा- जो शस्त्र लोहे का बना हुआ नहीं है, वह यह है कि जहाँ तक तुम्हारी शक्ति हो, सदा उन लोगों को कुछ खिलाया पिलाया करो, उनकी बातें सहन किया करो, अपने अंतःकरण को सरल और कोमल रखो और लोगो की योग्यता के अनुसार उनका आदर सत्कार किया करो। (२१) जो संबंधी या ज्ञाति के लोग कटु और लघु बातें कहते हो, उनकी बातों पर ध्यान मत दो और अपने उत्तर से उनका हृदय, वाचा और मन शांत करो। ( २२) जो महापुरुष नहीं है, प्रात्मवान् नहीं है और जिसके सहायक या अनुयायी नहीं हैं, वह उच्च राजनीतिक उत्तरदायित्व का भार सफलतापूर्वक वहन नहीं कर सकता । (२३) समतल भूमि पर तो हर एक बैल भारी बोझ लादकर चल सकता है। पर कठिन बोझ लादकर कठिन मार्ग पर चलना केवस्त बहुत बढ़िया और अनुभवी बैल का ही काम है। (२४) हि-२१