पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३६३

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( ३३२) (ङ) लोग स्वयं अपना नामकरण नहीं करते। नाम तो माता पिता रखते हैं। रखे हुए नामों से पीछा छुड़ाना बहुत कठिन होता है और कोई समझदार श्रादमी अपना भद्दा नाम बदलने के फेर में नहीं पड़ता। उदाहरणार्थ शुनःशेफ, पिशुन या अँगरेजी का फॉक्स ( Fox )। जैसा कि कई बार बतलाया जा चुका है*, कौटिल्य एक गोत्र का नाम है जो पीढ़ियों से चला आता था। डा० जोली को उनके इस तर्क का उत्तर तो कौटिल्य का वह मूल पुरुष दे सकता है जिसका नाम कुटिल या कौटिलि* रहा होगा। कौटिल्य विष्णुगुप्त इसके लिये उत्तरदायी नहीं है। चाणक्य (हिदू साहित्य के अनुसार पिता द्वारा प्राप्त किया हुआ नाम) विजयगढ़ (मिरजापुर) की गुफा के एक चित्रित शिलालेख में ईसवी चौथी शताब्दी की गुप्त लिपि में उल्लिखित है, जिसका फोटो पटना म्यूजियम के क्यूरेटर राय साहब एम० घोष लाए हैं। उसमे चाणक्य रोषः लिखा है। (च) यदि पंडितों के रचे हुए सभी शाख थोथे विभागों और बालकों के से किए हुए विभेदों से भरे हुए हैं, तो यह कौटिल्य के देश का साहित्यिक दोष है और वह स्वयं इस परंपरागत दोष से नही बच सकता था। युरोप के किसी देश की भाषा- शैली दूसरे युरोपियनों की दृष्टि में बेहंगम और थोथी हो सकती है; पर उस देश का निवासी ग्रंथकर्ता चाहे कालिज

  • जरनल आफ दी बिहार एंड उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी, २.

७६.८० नोट ।