पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३६६

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और ( ३३५) भूलों को छोड़कर) ठीक उसी रूप में है जिस रूप में वह लगभग ई० सन् ४०० में वर्तमान था (पृ०८, ६, १२.)। तंत्राख्यायिका में दिए हुए ३० उद्धरण तथा परवर्ती ग्रंथों में दिए हुए उद्धरण यह बात अच्छी तरह प्रमाणित करते हैं। इस प्रकार विवा- दात्मक प्रश्न केवल यही रह जाता है कि अर्थशास्त्र की रचना ई० पू० ३०० और ई० प० ४०० के बीच में कब हुई थी। एक और बात है जिससे यह सीमा और भी संकुचित हो जाती है; और वह बात यह है कि डा० जोली की यह, भी सम्मति है बहुत ठीक सम्मति है कि वात्स्यायन ने जिस समय काम- सूत्र की रचना की थी, उस समय अर्थशास्त्र उसके सामने था । और कामसूत्र की रचना का समय वे चौथी शताब्दी या उसके लगभग मानते हैं; और इसी लिये वे अर्थशास्त्र का रचना काल ई. तीसरी शताब्दी रखते हैं (पृ०२६-४३)। ईसवी तीसरी शताब्दी के पक्ष में दलीलें रचना काल ईसवी तीसरी शताब्दी होने के पक्ष मे डा० जोलो की दलीलें इस प्रकार हैं- (१) एक श्लोक (नवंशरावं आदि) ऐसा है जो कौटिल्य में भी है और भास मे भी; और कौटिल्य ने उसे उद्धरण के रूप में दिया है जिससे यह सिद्ध होता है कि उसने यह श्लोक अवश्य ही भास से लिया है, जिसका समय ईसवी तीसरी शताव्दी है (पृ० १०.)।