पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३६८

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( ३३७) (१०) वह खनिज-विद्या, वास्तु-विद्या, आय-व्यय- शास्त्र तथा रत्नों और कीमिया आदि से संबंध रखनेवाले अनेक पारिभाषिक ग्रंथों से परिचित था। उसका ग्रंथ मौलिक रचना करनेवाली प्रतिभा का फल नहीं था, बल्कि ऐसे समय मे उसकी रचना हुई थी जब कि राजनीतिक क्षेत्र में बहुत दिनों से साहित्यिक रचना होती आई थी; और उसका रचना काल बहुत पहले न मानने का एक और कारण यह भी है (पृ० ३३.)। (११) 'मुद्राराक्षस' मे उल्लिखित मंत्री राक्षस संभवतः एक कल्पित व्यक्ति है; तो फिर कौटिल्य भी उसी प्रकार का कल्पित व्यक्ति क्यों न माना जाय ( पृ० ३४.) १ यूनानियों ने उसका कोई उल्लेख नहीं किया है। उस समय एक नए राजवंश का प्रारंभ हो चुका था; और इसी लिये उस समय पुरानी बातों और व्यक्तियों के संबंध मे लोग अनेक प्रकार की कल्पनाएँ करने लग गए होंगे (पृ० ३४.)। (१२) कौटिल्य ने कीमिया का जिक्र किया है और भारतीय विज्ञान के वृक्ष में इस फल की उत्पत्ति पीछे से हुई थी (पृ० ३४.)। (१३) कौटिल्य ने सुरंग का वर्णन किया है जो यूनानी शब्द Syrinx से निकला है। (१४) मेगास्थिनीज के लेखों तथा अशोक के शिला- लेखों में भारतवर्ष का जो वर्णन दिया है, उसमें भारत उतनी हि-२२