पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३६९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( ३३८) उन्नत दशा में नहीं दिखाई देता जितनी उन्नत दशा में वह अर्थ- शाख के वर्णन से जान पड़ता है (पृ० ३१.)। अर्थात् अर्थशास्त्र के रचयिता को खानों पर राज्य के एकाधि- कार, टकसाल के निरीक्षकों, धातुओं, खनिज-विद्या, सिक्के बनाने की रासायनिक योग्यता तथा आभूषणों आदि का ज्ञान था, पर मेगास्थिनीज ने केवल पॉच धातुओं का उल्लेख किया है और स्ट्रवो कहता है कि भारतवासियों को खाने खोदने तथा धातुएँ आदि गलाने का कोई अनुभव नहीं है। (१५) अर्थशास्त्र में लिखे हुए लेखों आदि का उल्लेख है, पर मेगास्थिनीज कहता है कि भारतवासी लिखना नहीं जानते । (१६) मेगास्थिनीज ने सिक्कों पर की वृत्ति या कर और जूए तथा मादक द्रव्यों के कर तथा सड़कों पर लगनेवाले कर का कोई उल्लेख नहीं किया है; पर अर्थशास्त्र में इन सब बातों का वर्णन है। (१७) मेगास्थिनीज के जिन वर्णनों से अर्थशास्त्र के वर्णनों का मेल मिलता है, उन वर्णनों से कुछ भी प्रमाणित नहीं होता; क्योंकि अर्थशास्त्र में आई हुई वाते चीनी यात्रियों तथा एलबरूनी की बतलाई हुई बातों से भी मिलती हैं। • (१८) पाटलिपुत्र का कही उल्लेख नहीं है (पृ. ४३.)। रचयिता के भौगोलिक वर्णन तथा दृष्टिकोण से पता चलता है कि यह ग्रंथ दक्षिण भारत में लिखा गया था, जहाँ से यह पाया गया है।