पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३७०

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( ३३६) (१८) अर्थशास्त्र मे कौटिल्य की सम्मति उसके नाम से दी गई है। यह अर्थशास्त्र में दी हुई अपदेश की व्याख्या के अंतर्गत आता है और इससे सिद्ध होता है कि स्वयं कौटिल्य ने यह ग्रंथ नहीं लिखा था। (२०) दूसरे लोगों की जो सम्मतियों उद्धृत की गई हैं, वे कल्पित है और उनके नाम महाभारत से लिए गए हैं (पृ० ३१,४४.)। जाली की दलीलों की जाँच (१) नवं शराववाला श्लोक एक प्रसिद्ध पुराना श्लोक है, जिसका व्यवहार युद्धक्षेत्र में सैनिकों को उत्साहित करने के लिये किया जाता था। सैनिकों को उत्साहित करने की प्रथा इतिहास-काल के प्रारंभ से ही चली आती है। इस श्लोक का आधार एक बहुत प्राचीन विश्वास है और इसके द्वारा उसी का स्मरण होता है। वह विश्वास यह है कि जो सैनिक खामिनिष्ट नहीं होते, वे नरक में जाते हैं। यदि हम एक बात पर विचार करें, तो उससे यह प्रमाणित हो जायगा कि यह संभव नही है कि यह श्लोक कौटिल्य ने भास से लिया हो, बल्कि उसने यह श्लोक किसी और ही ग्रंथ से लिया होगा; और जैसा कि अपीह श्लोकी भवतः से सूचित होता है, वह श्लोक उस समय बहुत प्रसिद्ध और प्रचलित रहा होगा। वह बात यह है कि कौटिल्य ने दो श्लोक दिए है; और नवं शरावं