(३४६ ) (११) यह बात प्रमाणित नहीं की गई है कि मन्त्री राक्षस एक काल्पनिक व्यक्ति था। एक अज्ञात बात के आधार पर दूसरी अज्ञात बात स्थिर कर लेना कभी तर्क-सम्मत नहीं हो सकता। इसके अतिरिक्त यदि यह मान भी लिया जाय कि एक मंत्री काल्पनिक था, तो उससे और सब मंत्री भी किस प्रकार काल्पनिक सिद्ध हो सकते हैं? यदि यूनानियों ने कौटिल्य का कोई उल्लेख नहीं किया है, तो यह कौटिल्य का दुर्भाग्य ही है। यूनानियों के उल्लेख न करने से किसी व्यक्ति का विशिष्ट महत्व घट सकता अथवा नष्ट हो सकता है; पर उससे यह सिद्ध नहीं हो सकता कि उस व्यक्ति का अस्तित्व ही नहीं था। इसके सिवा पहले आप यह वो वतलाइए कि यूनानियों के अर्थात् मेगास्थिनीज के लिखे समस्त लेख या ग्रंथ आदि कहाँ हैं। किसी नए राजकुल की स्थापना से पौराणिक ढंग की बातों की कल्पना की भी जा सकती है और साथ ही नहीं भी की जा सकती; अथवा किसी एक विषय में तो कल्पना की जा सकती है और शेष विपयों में नहीं भी की जा सकती। (१२) डा. जोली इस हिंदू सिद्धांत से परिचित हैं कि भारत में कीमिया की विद्या का प्रारंभ ईसवी सन् से पहले ही हो चुका था। जो हो, पर अभी तक यह बात प्रमाणित नहीं • अलवेरूनी (१७) में इसवी सन् से पहले ही व्याडि का नाम दिया हुआ है। व्याडि से पहले भी कुछ लोग अवश्य ही हुए होंगे। .