पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/३७८

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(३४७ ) हो सकी है कि सब से पहले इस विद्या का उदय या प्रारंभ कहाँ हुआ था । कीमिया के संबंध में परवर्ती भारतीय साहित्य में हमें कुस्तुंतुनिया (रूम ) का नाम मिलता है; और यदि हम अर्थशाखवाली कीमिया का संबंध परवर्ती कीमिया से स्थापित करें, तो हमे और नीचे उतरकर मुसलमानी काल तक आना पड़ेगा। इसलिये जोली को यह नई कल्पना करनी पड़ेगी कि कदाचित् इसका मूल यूनानी-सीरियक था और ईसवी पहली शताब्दी में उसके प्रारंभ की कल्पना करनी पड़ेगी। परंतु एक कल्पना या अनुमान से दूसरी कल्पना या अनुमान प्रमाणित नहीं किया जा सकता। इससे पहले तो यह प्रमाणित होना चाहिए कि कीमिया का प्रारंभ भारतवर्ष से नहीं हुआ था और भारत ने यह विद्या यूनानी-सीरियक मूल से ही सीखी थी, और कहीं से नहीं सीखी थी। ईसवी सन् ३०० से पहले भारत- वर्ष मे कीमिया की विद्या का प्रचलित होना ही यह बतलाता है कि हमें उस के अरबी मूलवाले सिद्धांत को छोड़ देना चाहिए, और यह मान लेना चाहिए कि उसका प्रारंभ इससे और पहले और कहीं हुआ था, अब वह आरंभ चाहे भारत मे हुआ हो और चाहे किसी और देश मे हुआ हो। इसके सिवा हम और कोई बात स्थिर ही नहीं कर सकते, क्योकि वर्तमान अवस्था मे इससे अधिक और कुछ सिद्ध ही नहीं हो सकता। परवर्ती साहित्य मे रूम और बर्बर का जो उल्लेख है, उसका संकेत किसी दूसरे और बाद के आयात के संबंध में होना चाहिए।